BHAAGI HUI LADKIYAN
![Image](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjx4-pcvsdzjPmj4uq7toq-10HBe7GZVppLRvDeYcqF4si12ibUtkgl0v2DEIZO_JfxoZ3ZQcoAUFWc6Hwog-y8xMNawEGWH0ee8gk9tlB2kI0xNTOh9SZ_ElS4tevbrz9u6sz22RDt2Zo/s200/BHAGI.jpg)
"लड़की घर से भाग गयी" एक ऐसा वाक्य जो भारतीय समाज में किसी भी धर्म , जाति या तबके के परिवार में भूचाल लाने के लिए काफी है। ये अतिश्योक्ति तो नहीं होगी यदि कहा जाये की कोई भी परिवार में किसी की मृत्यु तो सेहन कर सकता है परन्तु लड़की का घर भागना उसके पुरे परिवार पे वज्रपात सा गिरता है। और ऐसा कदम उठाने के बाद सम्पूर्ण समाज की आलोचना, बहिष्कार व तिरस्कार पर मानो उस लड़की का एकाधिकार सा होगया हो। शायद हम और हमारा समाज किसी बलात्कार के अपराधी के साथ भी ऐसा हीन भाव नहीं दर्शाते होंगे जैसा घर से भागी हुई एक लड़की के प्रति दिखते है। जिन दोस्तों, सहेलिओ या पडोसियो के साथ उसका बचपन बीता था, वो उस लड़की से ऐसे दूर भागते है मानो कोई जानलेवा छुआछूत की बीमारी होगयी हो। अपनी एक चाहत को पूरा करने के लिए उठाया गया कदम उसके लिए अभिशाप से कम नहीं होता। जो लड़की अकेले चौराहे की दुकान तक नहीं जाती थी वो आज अकेली पुरे समाज का बहिस्कार सहन कर रही है और हम पुरजोर कोशिश करते है की उस लड़की का जीना मुश्किल हो जाये। अपने घर की लड़कीयो को उसका उदाहरण दिया जाता है की उसके जैसी हरकत मत करना, हवाला