BURA WAQT - BAD TIMES

जब लिखने बैठता हू तो समझ नहीं आता कि कहा से शुरुआत करू , मन में इतनी बाते है किसको पहला अवसर दू जो मेरे मन से निकल के मेरे कलम के जरिये इन पन्नो में छप जाये और मुझे शुकुन से जीने दे। 

विचारो की ऐसी सुनामी उफ़न रही है मन में कि  किसी एक को पकड़ना और सुनामी में डूब कर उस विचार को बाहर निकालना असम्भव सा लग रहा है।  

कभी सोचा नहीं था की मैं खुद पे तरस खाऊंगा , लेकिन आज आ रहा है।  कहा खो जाता हूँ पता नहीं चलता , बस जब होश आता है तो खुद को कमरे में अकेला और आखो को पानी में गिला महसूस करता हूँ। 

दुनिया कहती है छोटी - छोटी चीजों में खुशिया ढूंढो।  बस मैंने भी यही किया, हर छोटी चीज में खुश होने लगा। किसी बड़े बदलाव की चाहत ही नहीं की ,बस यही चाहा की अपने परिवार के साथ यही छोटी - छोटी खुशियां जीता चला जाऊ। 

लेकिन अब तो एक अरसा हो गया कोई छोटी ख़ुशी मनाये हुए ,कैसे उम्मीद करलू  कि  कुछ बहुत अच्छा होगा। 

ऐसा नहीं है की टूट चुका हूँ , हार चुका हु , मैं तो लड़ रहा हूँ , खुद से और अपने वक़्त से , देखता हूँ कितना चलता है ये बुरा वक़्त। 

- आलोक सिंह 

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