KRODH - ANGER

गुस्सा या क्रोध एक  क्षणिक प्रभाव के साथ आता है।  ये विनाशकारि तो है लेकिन दीर्घकालिक नहीं। ये उस तरह है कि कोई व्यक्ति  GYM में जाकर एक बार में १५०-२०० KG का वजन उठा लेता है। 

जिस तरह  GYM में उठाये गए वजन को कुछ क्षण के लिए तो उठाये रख सकते है , ये आपकी शारीरिक क्षमता के अनुसार ज्यादा या कम हो सकती है , परन्तु ये निश्चित है ये स्थाई और दीर्घकालिक नहीं हो सकता। 

गुस्से का आचरण भी कुछ इसी तरह का है , कोई भी व्यक्ति अपनी शारीरिक , मानसिक तथा सामाजिक क्षमता के आधार पर क्रोध को अपना तो सकता है परन्तु क्रोध की उसी तीव्रता को लम्बे समय तक संभाल नही सकता। 

गुस्से का विध्वंसकारी प्रभाव मानव मस्तिष्क से शुरू होता है सामाजिक स्तर पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। 

जब व्यक्ति शारीरिक , मानसिक और सामाजिक रूप से क्षमतावान होता है और उस स्थिति में क्रोध करता है तो कुछ प्रारम्भिक क्षणो में लगता है कि  वह अपने क्रोध से दुसरो को नुकसान पहुंचा रहा है। 

परन्तु हकीकत इसके बिलकुल विपरीत होती  है।  क्रोध सबसे पहले हमारी मानसिक क्षमताओ को दीमक की तरह गला देता है , जिसके फलस्वरूप हमारा शरीर भी क्रोध की इस तीव्रता को सहने में असमर्थ हो जाता है। 

मानसिक और शारीरिक रूप से असहाय  व्यक्ति का सामाजिक जीवन किसी भी तरह से संतोषजनक नहीं हो सकता है। 

इसलिए यदि आपको लगता है कि  आपकी मानसिक , शारीरिक व सामाजिक क्षमता ऐसी है कि  आप अत्यधिक क्रोध कर सकते है , तो सम्भल जाइये , यही वो चेतावनी है जहा आपको सावधान रहना है। 


आप जिस क्षमता के स्वामी है , उसे बनाये रखने के लिए ये अत्यंत अनिवार्य है कि  आप क्रोध के अम्ल को खुद से दूर रखे , क्योकि क्रोध व्यक्ति , समय और स्थान की परवाह नहीं करता , ये सब कुछ नष्ट  करता चला जाता है। 




- आलोक सिंह 

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